Sunday, October 09, 2011

अमलतास का लोकार्पण

सुप्रसिद्ध गजलकार और हाइकुकार कमलेश भट्ट कमल ने अपने जीवन के 50 वर्ष 13 फरवरी 2009 को पूरे किए। कमलेश जी की पचासवीं वर्षगाँठ पर उनकी दो महत्वपूर्ण पुस्तकें एक साथ लोकार्पित हुईं। गाजियाबाद स्थित गान्धर्व संगीत महाविद्यालय के मुक्ताकाशीय मंच पर 13फरवरी 2009को गीताभ तथा हाइकु दर्पण के संयुक्त तत्वावधान में लोकार्पण समारोह में मै नदी की सोचता हूँ गजल संग्रह तथा अमलतास का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार गिरिराजकिशोर ने अपने संबोधन में कहा कि अब हमें ये बेवकूफी छोड देनी चाहिए कि गजल लिखें या नहीं, यदि हिन्दी में गजल लिख सकते हैं तो जरूर लिखें क्योंकि इसमें संवेदना को तीव्रता के साथ अभिव्यक्ति करने की अपूर्व संभावनाएँ हैं। उन्होंने कहा कि हाइकु की तीन पंक्तियों में यथार्थ को व्यक्त कर देना बहुत कठिन कार्य है। अज्ञेय ने कभी कहा था कि भारतीय, जापानियों से बेहतर हाइकु लिख सकते हैं और भट्ट जी ने इसे प्रमाणित करके दिखा दिया। कार्क्रम के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध कहानीकार से.रा.यात्री ने कहा कि कमलेश जी सच्चे अर्थों में एक प्रसन्न व्यक्ति हैं उनकी काव्य सम्मत चिन्ताएँ जन जीवन से गहराई के साथ जुडी हुई हैं। डा० मधुभारती ने कमलेश भट्ट की गजलों में संप्रेषणीयता की अद्भुत क्षमता का उल्लेख किया। सुप्रसिद्ध कवि डा० कुँअर बेचैन ने कमलेश जी की गजलों को पूरे समाज से जुडा हुआ बताया। डा० अमरनाथ अमर ने कमलेश जी की रचनाओं को स्व से निकलकर सर्व तक जाती मानवीय संवेदनाओं का संकलन बताया। उन्होंने कहा कि उनकी संवेदना नदी से निकलकर मनुष्य तक पहुँचती हैं। ये भी कहा कि उनकी गजलों में बुलंदी पर जाने की इच्छाशक्ति तथा समाज का संघर्ष, चिन्तन और उसकी चिन्ता भी व्यक्त होती है। सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार कृष्ण शलभ ने कमलेश भट्ट कमल के व्यक्तित्व को व्यष्टि से समष्टि की ओर जाता हुआ बताया। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध चित्रकार डा० लाल रत्नाकर, वरिष्ट पत्रकार डा० कुलदीप तलवार, साहित्यकार बी.एल.गौड, डा० सुरेन्द्र सिंघल, डा० सरिता शर्मा, डा० अंजली देवधर, प्रकाशक हरिश्चन्द्र शर्मा आदि ने कमलेश जी के व्यक्तित्व कृतित्व तथा उनकी रचनाधर्मिता को केन्द्र में रखते हुए विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में ओमप्रकाश यती, डा० अंजू सुमन, अंजू जैन, अतुल जैन, आर.पी.कौशल, एस.एन.भट्ट, अनिल कुमार शर्मा, कालीचरन प्रेमी, ओमप्रकाश कश्यप, कुसुम भट्ट, अलका यादव, विशाख, आस्था, प्रत्यूष आदि शामिल थे। मंचस्थ अतिथियों तथा प्रकाशक हरिश्चन्द्र शर्मा को शाल उढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अनुराधा भट्ट और जया बनर्जी द्वारा सरस्वती वंदना एवं गजल प्रस्तुति के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डा० जगदीश व्योम तथा वेदप्रकाश शर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आजकल पत्रिका के संपादक डा० योगेन्द्र दत्त शर्मा ने किया।











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